1965 से लगातार और अंतराष्ट्रीय स्तरीय लेखन के लिए सुविख्यात गोविन्द मिश्र इसका श्रेय अपने खुलेपन को देते हैं। समकालीन कथा-साहित्य में उनकी अपनी अलग पहचान है।
प्राप्त कई पुरस्कारों/सम्मानों में ‘पाँच आँगनोंवाला घर’ के लिए 1998 का व्यास सम्मान, 2008 में साहित्य अकादमी(केन्द्रीय पुरस्कार), 2011 में भारत-भारती सम्मान और 2013 का सरस्वती सम्मान विशेष उल्लेखनीय हैं।
उपन्यास: वह/अपना चेहरा, उतरती हुई धूप, लाल पीली ज़मीन, हुजूर दरबार, तुम्हारी रोशनी में, धीरसमारे, पाँच आँगनोंवाला घर, फूल...इमारतें और बन्दर, कोहरे में कैद रंग, धूल पौधों पर, अरण्यतंत्र।
कहानी-संग्रह: दस से ऊपर। अन्तिम पाँच-पगला बाबा, आसमान...कितना नीला, हवाबाज, मुझे बाहर निकालो, नये सिरे से।
संपूर्ण कहानियाँ: तीन खंड।
निबन्ध: साहित्य का संदर्भ, कथा भूमि, संवाद अनायास, समय और सर्जना, साहित्य साहित्यकार और प्रेम, सन्निधा साहित्यकार।
कविता: ओ प्रकृति माँ !
बाल-साहित्य: मास्टर मनसुखराम, कवि के घर में चोर, आदमी का जानवर।